CURRENT AFFAIRS – 01/08/2024

CURRENT AFFAIRS – 01/08/2024

CURRENT AFFAIRS – 01/08/2024

Contents
  1. CURRENT AFFAIRS – 01/08/2024

CURRENT AFFAIRS – 01/08/2024

Privilege breach proceedings against MLAs can continue in next Assembly : Madras HC / विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही अगली विधानसभा में भी जारी रह सकती है: मद्रास हाईकोर्ट

Syllabus : GS 2 : Indian Polity

Source : The Hindu


The Madras High Court ruled that breach of privilege proceedings against MLAs can continue even after the dissolution of the Assembly, emphasising the importance of such privileges.

  • This decision arose from appeals challenging a previous order that quashed notices to MLAs for displaying ‘gutkha’ sachets in the Assembly in 2017.
  • The court emphasised that privileges granted to the House would be meaningless if proceedings lapsed with the tenure of a particular Assembly.
  • The Division Bench criticised the single judge for “assuming the role of the Speaker” and interfering at the preliminary stage by quashing the show-cause notices.
  • The matter was remitted back to the current Speaker and the Committee of Privileges for further proceedings and a final decision on merits.

Constitutional Provisions Related to Privileges of MPs and MLAs:

  • Article 105: Grants Members of Parliament (MPs) the right to freedom of speech and debate in Parliament without facing legal action for statements made in the House.
  • Article 106: Provides for the salaries and allowances of MPs as determined by Parliament.
  • Article 194: Empowers State Legislatures (MLAs) to enjoy similar privileges and immunities as MPs, including freedom of speech and debate within the Legislature.
  • Article 105(2) and Article 194(2): Immunity from legal proceedings for anything said or any vote cast in Parliament or State Legislature.

Issues Associated with Privileges of Parliamentarians in India:

  • Abuse of Immunity: Parliamentarians may misuse immunity to make defamatory statements or evade legal accountability.
  • Lack of Transparency: Insufficient clarity on the scope of privileges can lead to misuse and lack of accountability.
  • Delayed Justice: Legal proceedings against MPs/MLAs can be delayed due to their privileges, affecting timely justice.
  • Disruptive Behaviour: Privileges sometimes shield MPs/MLAs from consequences for disruptive or unethical behaviour in legislative sessions.
  • Public Perception: Excessive privileges may lead to public dissatisfaction and erosion of trust in the political system.

Way Forward:

  • Define Privileges Clearly: Establish precise definitions and limits for privileges.
  • Enhance Transparency: Implement transparent reporting and review mechanisms.
  • Strengthen Accountability: Develop stringent rules for addressing misconduct.
  • Streamline Legal Processes: Introduce mechanisms to ensure timely justice for privilege-related issues.

विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही अगली विधानसभा में भी जारी रह सकती है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास उच्च न्यायालय ने ऐसे विशेषाधिकारों के महत्व पर जोर देते हुए फैसला सुनाया कि विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही विधानसभा भंग होने के बाद भी जारी रह सकती है।

  • यह निर्णय 2017 में विधानसभा में गुटखा के पैकेट प्रदर्शित करने के लिए विधायकों को दिए गए नोटिस को रद्द करने वाले पिछले आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों से उत्पन्न हुआ।
  • न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि यदि कार्यवाही किसी विशेष विधानसभा के कार्यकाल के साथ समाप्त हो जाती है तो सदन को दिए गए विशेषाधिकार निरर्थक हो जाएँगे।
  • खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश की “अध्यक्ष की भूमिका ग्रहण करने” और कारण बताओ नोटिस को रद्द करके प्रारंभिक चरण में हस्तक्षेप करने के लिए आलोचना की।
  • मामले को आगे की कार्यवाही और गुण-दोष के आधार पर अंतिम निर्णय के लिए वर्तमान अध्यक्ष और विशेषाधिकार समिति को वापस भेज दिया गया।

सांसदों और विधायकों के विशेषाधिकारों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

  • अनुच्छेद 105: संसद सदस्यों (सांसदों) को सदन में दिए गए बयानों के लिए कानूनी कार्रवाई का सामना किए बिना संसद में बोलने और बहस करने की स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
  • अनुच्छेद 106: संसद द्वारा निर्धारित सांसदों के वेतन और भत्ते का प्रावधान करता है।
  • अनुच्छेद 194: राज्य विधानमंडलों (विधायकों) को सांसदों के समान विशेषाधिकार और उन्मुक्ति का आनंद लेने का अधिकार देता है, जिसमें विधानमंडल के भीतर बोलने और बहस करने की स्वतंत्रता शामिल है।
  • अनुच्छेद 105(2) और अनुच्छेद 194(2): संसद या राज्य विधानमंडल में कही गई किसी भी बात या डाले गए किसी भी वोट के लिए कानूनी कार्यवाही से उन्मुक्ति।

भारत में सांसदों के विशेषाधिकारों से जुड़े मुद्दे:

  • उन्मुक्ति का दुरुपयोग: सांसद मानहानिकारक बयान देने या कानूनी जवाबदेही से बचने के लिए उन्मुक्ति का दुरुपयोग कर सकते हैं।
  • पारदर्शिता का अभाव: विशेषाधिकारों के दायरे पर अपर्याप्त स्पष्टता के कारण दुरुपयोग और जवाबदेही की कमी हो सकती है।
  • न्याय में देरी: सांसदों/विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही उनके विशेषाधिकारों के कारण विलंबित हो सकती है, जिससे समय पर न्याय प्रभावित होता है।
  • विघटनकारी व्यवहार: विशेषाधिकार कभी-कभी विधायी सत्रों में विघटनकारी या अनैतिक व्यवहार के परिणामों से सांसदों/विधायकों को बचाते हैं।
  • सार्वजनिक धारणा: अत्यधिक विशेषाधिकारों से जनता में असंतोष पैदा हो सकता है और राजनीतिक व्यवस्था में विश्वास कम हो सकता है।

आगे की राह:

  • विशेषाधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें: विशेषाधिकारों के लिए सटीक परिभाषाएँ और सीमाएँ स्थापित करें।
  • पारदर्शिता बढ़ाएँ: पारदर्शी रिपोर्टिंग और समीक्षा तंत्र लागू करें।
  • जवाबदेही को मज़बूत करें: कदाचार को संबोधित करने के लिए कड़े नियम विकसित करें।
  • कानूनी प्रक्रियाओं को कारगर बनाएँ: विशेषाधिकार से संबंधित मुद्दों के लिए समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिए तंत्र पेश करें।

Judiciary can direct govt. to conduct a performance audit of its laws, says SC / न्यायपालिका सरकार को अपने कानूनों का निष्पादन ऑडिट करने का निर्देश दे सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा

Syllabus : GS 2 : Indian Polity

Source : The Hindu


The Supreme Court affirmed its role in directing the government to conduct performance audits of statutory laws to assess their effectiveness.

  • This follows concerns about the Maharashtra Slum Areas Act’s implementation.
  • Effective law enforcement: The Court emphasised that continuous monitoring by the government and judicial facilitation are crucial for effective law enforcement.
  • Performance audits: The Supreme Court affirmed its role in directing the government to conduct performance audits of statutory laws to assess their effectiveness.
  • Multiple litigations: The judgement was delivered in the context of the Maharashtra Slum Areas (Improvement, Clearance and Redevelopment) Act, 1971, which has faced multiple litigations.
  • Constitutional obligation: The Court highlighted that the government has a constitutional obligation to ensure statutes are effectively implemented and monitored.
  • Guiding performance audits: Justice Narasimha emphasised the value of the Supreme Court’s institutional memory and judicial precedents in guiding performance audits.
    • The judiciary’s unique position enables it to assess the practical working of statutes and direct necessary reviews.

Performance Audits of Statutory Laws:

  • Performance audits of statutory laws involve evaluating the effectiveness and impact of legislation in achieving its intended objectives.
  • This process assesses whether laws are implemented as planned and whether they benefit the intended populations.
  • It also identifies any shortcomings or areas needing improvement, based on evidence and real-world data.

Significance:

  • Ensures Accountability: Verifies if laws meet their intended goals.
  • Improves Effectiveness: Identifies and addresses implementation gaps.
  • Informs Policy Adjustments: Provides data for refining or amending legislation.
  • Promotes Transparency: Enhances public trust in governance.
  • Facilitates Justice: Ensures that laws serve their purpose and benefit intended communities/purpose.

न्यायपालिका सरकार को अपने कानूनों का निष्पादन ऑडिट करने का निर्देश दे सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को वैधानिक कानूनों की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए उनके प्रदर्शन ऑडिट करने का निर्देश देने में अपनी भूमिका की पुष्टि की।

  • यह महाराष्ट्र स्लम एरिया एक्ट के कार्यान्वयन के बारे में चिंताओं के बाद आया है।
  • प्रभावी कानून प्रवर्तन: न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि प्रभावी कानून प्रवर्तन के लिए सरकार द्वारा निरंतर निगरानी और न्यायिक सुविधा महत्वपूर्ण है।
  • निष्पादन लेखापरीक्षा: सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को वैधानिक कानूनों की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए उनके निष्पादन लेखापरीक्षा करने का निर्देश देने में अपनी भूमिका की पुष्टि की।
  • कई मुकदमे: यह निर्णय महाराष्ट्र स्लम क्षेत्र (सुधार, निकासी और पुनर्विकास) अधिनियम, 1971 के संदर्भ में दिया गया, जिस पर कई मुकदमे चल रहे हैं।
  • संवैधानिक दायित्व: न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करे कि कानूनों का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन और निगरानी की जाए।
  • निष्पादन लेखापरीक्षा का मार्गदर्शन: न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने निष्पादन लेखापरीक्षा का मार्गदर्शन करने में सर्वोच्च न्यायालय की संस्थागत स्मृति और न्यायिक मिसालों के महत्व पर जोर दिया।
    • न्यायपालिका की अनूठी स्थिति उसे कानूनों के व्यावहारिक कामकाज का आकलन करने और आवश्यक समीक्षा करने में सक्षम बनाती है।

संवैधानिक कानूनों का निष्पादन लेखापरीक्षा:

  • संवैधानिक कानूनों के निष्पादन लेखापरीक्षा में अपने इच्छित उद्देश्यों को प्राप्त करने में कानून की प्रभावशीलता और प्रभाव का मूल्यांकन करना शामिल है।
  • यह प्रक्रिया यह आकलन करती है कि क्या कानून योजना के अनुसार लागू किए गए हैं और क्या वे लक्षित आबादी को लाभ पहुँचा रहे हैं।
  • यह साक्ष्य और वास्तविक दुनिया के डेटा के आधार पर किसी भी कमी या सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की पहचान भी करता है।

महत्व:

  • जवाबदेही सुनिश्चित करता है: सत्यापित करता है कि क्या कानून अपने इच्छित लक्ष्यों को पूरा करते हैं।
  • प्रभावशीलता में सुधार करता है: कार्यान्वयन अंतराल की पहचान करता है और उन्हें संबोधित करता है।
  • नीति समायोजन की जानकारी देता है: कानून को परिष्कृत या संशोधित करने के लिए डेटा प्रदान करता है।
  • पारदर्शिता को बढ़ावा देता है: शासन में जनता का विश्वास बढ़ाता है।
  • न्याय को सुगम बनाता है: सुनिश्चित करता है कि कानून अपने उद्देश्य की पूर्ति करें और लक्षित समुदायों/उद्देश्यों को लाभ पहुँचाएँ।

IAF’s largest multilateral exercise to begin this month / IAF का सबसे बड़ा बहुपक्षीय अभ्यास इसी महीने शुरू होगा

Syllabus : Prelims Fact

Source : The Hindu


The Indian Air Force will conduct its largest multilateral exercise, Tarang Shakti, during August and September.

About the Exercise

  • Tarang Shakti aims to boost military cooperation, enhance collaboration, and showcase India’s defence industry to support the nation’s goal of becoming a developed country by 2047.
  • Tarang Shakti represents a major step in India’s efforts to enhance its military capabilities and strategic partnerships on a global scale.
  • The exercise not only provides a platform for international cooperation but also highlights India’s progress in defence technology and production, reinforcing its vision of self-reliance and innovation in the defence sector.
  • The exercise will occur in two phases at Sulur and Jodhpur, involving 18 countries, including major participants like Germany, the U.K., and the U.S. It aims to enhance interoperability and showcase India’s defense capabilities.
  • Phase-1 will take place from August 6-14 at Sulur, Tamil Nadu, and will feature participants from Germany, France, Spain, and the U.K.
  • Phase-2 is scheduled* for September 1-14 at Jodhpur and will involve Australia, Bangladesh, Greece, Singapore, the UAE, and the U.S.
  • The exercise aims to foster interoperability, share best practices, and showcase the indigenous defence industry.

Sgnificance of the Exercise

  • The exercise provides a platform to showcase advanced military technologies and capabilities, including fighter jets, transport aircraft, and aerial refuelling systems.
  • This enables participants to demonstrate their equipment’s effectiveness and interoperability in multinational settings.
  • It would enhance regional stability and promote collective security in the Indo-Pacific region.
  • It reinforces India’s role as a key partner in global security initiatives and strengthens diplomatic relations with participating countries.

IAF का सबसे बड़ा बहुपक्षीय अभ्यास इसी महीने शुरू होगा

भारतीय वायु सेना अगस्त और सितंबर के दौरान अपना सबसे बड़ा बहुपक्षीय अभ्यास, तरंग शक्ति, आयोजित करेगी।

 अभ्यास के बारे में

  • तरंग शक्ति का उद्देश्य सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना, सहयोग को बढ़ाना और 2047 तक विकसित देश बनने के राष्ट्र के लक्ष्य का समर्थन करने के लिए भारत के रक्षा उद्योग को प्रदर्शित करना है।
  • तरंग शक्ति वैश्विक स्तर पर अपनी सैन्य क्षमताओं और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के भारत के प्रयासों में एक बड़ा कदम है।
  • यह अभ्यास न केवल अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करता है, बल्कि रक्षा प्रौद्योगिकी और उत्पादन में भारत की प्रगति को भी उजागर करता है, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और नवाचार के अपने दृष्टिकोण को मजबूत करता है।
  • यह अभ्यास सुलूर और जोधपुर में दो चरणों में होगा, जिसमें जर्मनी, यू.के. और यू.एस. जैसे प्रमुख प्रतिभागियों सहित 18 देश शामिल होंगे। इसका उद्देश्य अंतर-संचालन को बढ़ाना और भारत की रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करना है।
  • चरण-1 तमिलनाडु के सुलूर में 6-14 अगस्त तक चलेगा और इसमें जर्मनी, फ्रांस, स्पेन और यू.के. के प्रतिभागी शामिल होंगे।
  • चरण-2 जोधपुर में 1-14 सितंबर को निर्धारित है और इसमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ग्रीस, सिंगापुर, यूएई और यू.एस. शामिल होंगे।
  • अभ्यास का उद्देश्य अंतर-संचालन को बढ़ावा देना, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और स्वदेशी रक्षा उद्योग का प्रदर्शन करना है।

अभ्यास का महत्व

  • यह अभ्यास लड़ाकू जेट, परिवहन विमान और हवाई ईंधन भरने की प्रणाली सहित उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों और क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • यह प्रतिभागियों को बहुराष्ट्रीय सेटिंग्स में अपने उपकरणों की प्रभावशीलता और अंतर-संचालन को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाता है।
  • यह क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाएगा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सामूहिक सुरक्षा को बढ़ावा देगा।
  • यह वैश्विक सुरक्षा पहलों में एक प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की भूमिका को मजबूत करता है और भाग लेने वाले देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करता है।

Tanzania evicting tens of thousands of Maasai HRW / तंजानिया हजारों मासाई HRW को बेदखल कर रहा है

Syllabus : Prelims Fact

Source : The Hindu


Tanzania is forcibly relocating tens of thousands of Maasai from their ancestral lands in the Ngorongoro Conservation Area to Handeni district.

  • Human Rights Watch reports beatings by government rangers and lack of fair consent for the move.The scheme, aimed at conserving the World Heritage site, faces international criticism.

More about the  Maasai Tribe:

  • Community: The Maasai are a nomadic ethnic group native to Kenya and Tanzania, known for their traditional pastoral lifestyle and cultural practices.
  • Ancestral Lands: The Maasai’s ancestral lands are in the Ngorongoro Conservation Area, a UNESCO World Heritage site in Tanzania.
  • Government Relocation Plan: Tanzania’s government initiated a relocation program in 2022 to move about 82,000 Maasai from Ngorongoro to Handeni district, approximately 600 kilometres away.
  • Purpose of Relocation: The government claims the move is to conserve the Ngorongoro site from human encroachment, while critics argue it is for conservation and tourism benefits.
  • Human Rights Concerns: Human Rights Watch reports forced evictions, beatings by government rangers, and lack of fair consent for relocation.
  • International Criticism: The World Bank and European Union have withdrawn funding due to growing concerns over the displacement and rights violations.

About Human Rights Watch

  • Organisation: Human Rights Watch (HRW)
  • Founded: 1978
  • Headquarters: New York City, USA
  • Mission: To investigate and report on human rights abuses globally, advocating for justice and protection of human rights.
  • Activities: Conducts research, publishes reports, and engages in advocacy to address human rights violations.
  • Focus Areas: Includes civil and political rights, economic and social rights, gender equality, refugee protection, and the fight against torture and discrimination.
  • Methodology: Utilises fact-finding missions, interviews with victims and witnesses, and extensive documentation to ensure accuracy and credibility in its reports.
  • Global Reach: Operates in more than 100 countries, working with local and international partners to promote human rights and hold perpetrators accountable.

तंजानिया हजारों मासाई HRW को बेदखल कर रहा है

तंजानिया हजारों मासाई लोगों को जबरन नगोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र में उनकी पैतृक भूमि से हांडेनी जिले में स्थानांतरित कर रहा है।

  • ह्यूमन राइट्स वॉच ने सरकारी रेंजरों द्वारा पिटाई और इस कदम के लिए उचित सहमति की कमी की रिपोर्ट की है। विश्व धरोहर स्थल को संरक्षित करने के उद्देश्य से बनाई गई इस योजना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है।

मासाई जनजाति के बारे में अधिक जानकारी:

  • समुदाय: मासाई केन्या और तंजानिया के मूल निवासी एक खानाबदोश जातीय समूह हैं, जो अपनी पारंपरिक देहाती जीवन शैली और सांस्कृतिक प्रथाओं के लिए जाने जाते हैं।
  • पैतृक भूमि: मासाई की पैतृक भूमि नगोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र में है, जो तंजानिया में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
  • सरकारी पुनर्वास योजना: तंजानिया की सरकार ने 2022 में लगभग 82,000 मासाई लोगों को नगोरोंगोरो से लगभग 600 किलोमीटर दूर हांडेनी जिले में स्थानांतरित करने के लिए एक पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया।
  • पुनर्वास का उद्देश्य: सरकार का दावा है कि यह कदम नगोरोंगोरो साइट को मानव अतिक्रमण से बचाने के लिए है, जबकि आलोचकों का तर्क है कि यह संरक्षण और पर्यटन लाभ के लिए है।
  • मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ: ह्यूमन राइट्स वॉच ने जबरन बेदखली, सरकारी रेंजरों द्वारा पिटाई और पुनर्वास के लिए उचित सहमति की कमी की रिपोर्ट की है।
  • अंतर्राष्ट्रीय आलोचना: विश्व बैंक और यूरोपीय संघ ने विस्थापन और अधिकारों के उल्लंघन पर बढ़ती चिंताओं के कारण फंडिंग वापस ले ली है।

ह्यूमन राइट्स वॉच के बारे में

  • संगठन: ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW)
  • स्थापना: 1978
  • मुख्यालय: न्यूयॉर्क शहर, यूएसए
  • मिशन: मानवाधिकारों के हनन की वैश्विक स्तर पर जाँच करना और रिपोर्ट करना, न्याय और मानवाधिकारों की सुरक्षा की वकालत करना।
  • गतिविधियाँ: मानवाधिकार उल्लंघनों को संबोधित करने के लिए शोध करना, रिपोर्ट प्रकाशित करना और वकालत करना।
  • फ़ोकस क्षेत्र: नागरिक और राजनीतिक अधिकार, आर्थिक और सामाजिक अधिकार, लैंगिक समानता, शरणार्थी संरक्षण और यातना और भेदभाव के खिलाफ़ लड़ाई शामिल है।
  • कार्यप्रणाली: अपनी रिपोर्ट में सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए तथ्य-खोज मिशन, पीड़ितों और गवाहों के साथ साक्षात्कार और व्यापक दस्तावेज़ीकरण का उपयोग करता है।
  • वैश्विक पहुंच: 100 से अधिक देशों में कार्यरत, मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ काम करता है।

Index of Eight Core Industries / आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक

Index In News


In June 2024, the Index of Eight Core Industries (ICI) rose by 4.0% compared to June 2023, with growth in coal, electricity, natural gas, steel, fertilisers, and cement.

  • The ICI, which represents 40.27% of the Index of Industrial Production, recorded a cumulative growth of 5.7% from April to June 2024.

Index of Industrial Production (IIP):

  • The Index of Industrial Production (IIP) is a key economic indicator that measures the performance of various industrial sectors in a country.
  • It reflects changes in the production levels of the industrial sector over a specific period, providing insights into the overall economic activity.
  • IIP is calculated based on the volume of production in sectors manufacturing, mining, and electricity.

Measurement and Reporting:

  • The performance of these core sectors is measured through the Index of Eight Core Industries (ICI).
  • The ICI is prepared and released monthly by the Office of the Economic Adviser (OEA), Department for Promotion of Industry and Internal Trade (DPIIT), and Ministry of Commerce & Industry.
  • The ICI provides an indication of the production performance of these core industries, both individually and collectively.

Eight core industries of IIP:

  1. Crude Oil: Weight: 8.98% : Total crude oil production.
  2. Coal: Weight: 10.33% : Production excluding coking coal.
  3. Natural Gas: Weight: 6.88% : Total natural gas production.
  4. Petroleum Refinery Products: Weight: 28.04% : Total refinery production.
  5. Fertilisers: Weight: 2.63% : Includes urea, ammonium sulfate, calcium ammonium nitrate, complex grade fertilizer, and single superphosphate.
  6. Steel: Weight: 17.92% : Production of alloy and non-alloy steel.
  7. Cement: Weight: 5.37% : Production in large and mini plants.
  8. Electricity: Weight: 19.85% : Includes thermal, nuclear, hydro, and imports from Bhutan.
  • The base year for the IIP is typically chosen to serve as a reference point for comparing production changes over time – the current base year for IIP is 2011-12
  • The index helps in assessing the growth or contraction of industrial output, aiding policymakers and investors in making informed decisions.
  • It plays a crucial role in economic planning, policy formulation, and monitoring of industrial performance.
  • A higher IIP indicates industrial growth, while a lower IIP suggests a decline in production.
  • The IIP is often used by the government, researchers, and analysts to analyse trends and formulate strategies for economic development.

आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक

जून 2024 में आठ प्रमुख उद्योगों (ICI) का सूचकांक जून 2023 की तुलना में 4.0% बढ़ा, जिसमें कोयला, बिजली, प्राकृतिक गैस, इस्पात, उर्वरक और सीमेंट में वृद्धि हुई।

  • ICI, जो औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का 27% प्रतिनिधित्व करता है, ने अप्रैल से जून 2024 तक 5.7% की संचयी वृद्धि दर्ज की।

 औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP):

  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) एक प्रमुख आर्थिक संकेतक है जो किसी देश में विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के प्रदर्शन को मापता है।
  • यह एक विशिष्ट अवधि में औद्योगिक क्षेत्र के उत्पादन स्तरों में परिवर्तन को दर्शाता है, जो समग्र आर्थिक गतिविधि में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • आईआईपी की गणना विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्रों में उत्पादन की मात्रा के आधार पर की जाती है।

मापन और रिपोर्टिंग:

  • इन मुख्य क्षेत्रों के प्रदर्शन को आठ मुख्य उद्योगों के सूचकांक (आईसीआई) के माध्यम से मापा जाता है।
  • आईसीआई को आर्थिक सलाहकार कार्यालय (ओईए), उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मासिक रूप से तैयार और जारी किया जाता है।
  • आईसीआई इन मुख्य उद्योगों के उत्पादन प्रदर्शन का संकेत देता है, व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से।

IIP के आठ मुख्य उद्योग:

  1. कच्चा तेल: वजन: 8.98%: कुल कच्चे तेल का उत्पादन।
  2. कोयला: वजन: 10.33%: कोकिंग कोल को छोड़कर उत्पादन।
  3. प्राकृतिक गैस: वजन: 6.88%: कुल प्राकृतिक गैस उत्पादन।
  4. पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद: वजन: 28.04%: कुल रिफाइनरी उत्पादन।
  5. उर्वरक: वजन: 2.63%: इसमें यूरिया, अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, कॉम्प्लेक्स ग्रेड उर्वरक और सिंगल सुपरफॉस्फेट शामिल हैं।
  6. स्टील: वजन: 17.92%: मिश्र धातु और गैर-मिश्र धातु स्टील का उत्पादन।
  7. सीमेंट: वजन: 5.37%: बड़े और छोटे संयंत्रों में उत्पादन।
  8. बिजली: वजन: 19.85%: इसमें थर्मल, परमाणु, हाइड्रो और भूटान से आयात शामिल हैं।
  • आईआईपी के लिए आधार वर्ष को आम तौर पर समय के साथ उत्पादन परिवर्तनों की तुलना करने के लिए संदर्भ बिंदु के रूप में चुना जाता है – आईआईपी के लिए वर्तमान आधार वर्ष 2011-12 है
  • यह सूचकांक औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि या संकुचन का आकलन करने में मदद करता है, नीति निर्माताओं और निवेशकों को सूचित निर्णय लेने में सहायता करता है।
  • यह आर्थिक नियोजन, नीति निर्माण और औद्योगिक प्रदर्शन की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • उच्च IIP औद्योगिक विकास को दर्शाता है, जबकि कम IIP उत्पादन में गिरावट का संकेत देता है।
  • IIP का उपयोग अक्सर सरकार, शोधकर्ताओं और विश्लेषकों द्वारा रुझानों का विश्लेषण करने और आर्थिक विकास के लिए रणनीति तैयार करने के लिए किया जाता है।

AI needs cultural policies, not just regulation / AI को सिर्फ़ विनियमन की नहीं, सांस्कृतिक नीतियों की ज़रूरत है

Editorial Analysis: Syllabus : GS 3 : Science and Technology

Source : The Hindu


Context :

  • The future of AI requires balancing regulation with policies promoting high-quality data as a public good.
  • Ensuring transparency, equity, and public trust in AI development is crucial.
  • Leveraging vast cultural heritage data can enrich AI while fostering innovation and preserving history.

Present Scenario of ‘Data Race vs. Ethics’

  • Data Demand vs. Quality: The race for data has intensified as AI systems, particularly Large Language Models (LLMs), require vast amounts of high-quality data for training.
  • However, there is a growing concern that this demand may compromise ethical standards, leading to the use of pirated or low-quality datasets, such as the controversial ‘Books3’ collection of pirated texts.

Ensuring Safe and Trustworthy AI

  • To ensure safe and trustworthy AI, regulation must be balanced with policies promoting high-quality data as a public good.
  • This approach fosters transparency, creates a level playing field, and builds public trust.

Challenges towards the Sources

  • Lack of Primary Sources: Current LLMs are primarily trained on secondary sources, which often lack the depth and richness of primary cultural artefacts.
    • Important primary sources, such as archival documents and oral traditions, are frequently overlooked, limiting the diversity of data available for AI training.
  • Underutilization of Cultural Heritage: Many repositories of cultural heritage, such as state archives, remain untapped for AI training.
    • These archives contain vast amounts of linguistic and cultural data that could enhance AI’s understanding of humanity’s diverse history and knowledge.
  • Digital Divide: The digitization of cultural heritage is often deprioritized, leading to a lack of access to valuable data that could benefit AI development.
    • This gap in data availability disproportionately affects smaller companies and startups, hindering innovation and competition with larger tech firms.

Lessons from Canada and Policy Implications

  • Canada’s Official Languages Act: The policy requiring bilingual institutions led to the creation of valuable datasets for translation software, demonstrating the long-term benefits of such initiatives.
  • Regional Languages and Technology: Recent debates in Spain and the European Union about adopting regional languages have overlooked the technological benefits of digitising low-resource languages.

Conclusion:

  • There is a need to implement robust ethical guidelines and standards for data collection and usage in AI training.
  • These standards should ensure that datasets are sourced legally, represent diverse cultures and perspectives, and minimize biases.
  • Encourage collaborations between tech companies, governments, and cultural institutions to develop and adhere to these guidelines.

Large Language Models (LLMs)

  • Large Language Models (LLMs) are advanced AI systems that can understand and generate human-like text by learning from vast amounts of data, enabling a wide range of language-related applications.

What is Artificial Intelligence (AI)?

  • AI is the ability of a computer, or a robot controlled by a computer to do tasks that are usually done by humans because they require human intelligence and judgement.
  • Although no AI can perform the wide variety of tasks an ordinary human can do, some AI can match humans in specific tasks.
  • The ideal characteristic of AI is its ability to rationalize and take actions that have the best chance of achieving a specific goal. A subset of AI is Machine Learning (ML).
  • Deep Learning (DL) techniques enable this automatic learning through the absorption of huge amounts of unstructured data such as text, images, or video.

Artificial Intelligence and India

Industry analysts predict that Artificial Intelligence could add up to $957 billion to India’s economy by 2035. The Government of India has initiated many programmes and initiatives for developing the AI industry in India so that its potential can be fully exploited for furthering the country’s economic and social progress.

  • In May 2020, the Government launched the National AI Portal of India (https://indiaai.gov.in/) which is a one-stop digital platform for artificial intelligence-related developments in the country.
    • The portal also acts as a knowledge-sharing tool featuring articles, documents, etc. for the use of stakeholders.
    • It can also act as a platform for getting information about AI jobs.
  • Along with the portal mentioned above, the government also launched the Responsible AI for Youth programme.
    • The programme’s aim is to give the young students a platform and empower them with appropriate new-age tech mindset, relevant AI skill-sets and access to required AI tool-sets to make them digitally ready for the future.
    • Under this, selected students (of classes 8 to 12) from central/state government schools from all over the country will attend online training sessions on AI, and how social impact projects can be identified and created with the help of AI.
    • Based on this, students will submit their solutions through videos, after which they will receive relevant training and handholding to develop their ideas into fruition for showcase on appropriate platforms.
  • Global Partnership on Artificial Intelligence (GPAI)
    • In June 2020, India became a part of the GPAI.
    • GPAI is an international and multi-stakeholder initiative to guide the responsible development and use of AI, grounded in human rights, inclusion, diversity, innovation, and economic growth.
    • The grouping aims to bridge the gap between the theory and practice of AI.
  • India’s AI strategy is known as “AI for All”.
    • It focuses on responsible AI, building AI solutions at scale with an intent to make India the AI garage of the world — a trusted nation to which the world can outsource AI-related work.
    • It emphasizes inclusive development through the use of AI technologies.
  • From 2020 onwards, CBSE has integrated AI into the school curriculum.

Potential of AI

Artificial Intelligence has the potential to provide sizeable incremental value to a wide range of sectors globally and is expected to be the key source of competitive advantage for firms.

  • Healthcare: AI plays an important role in the field of healthcare by addressing issues of high barriers particularly in rural areas that lack poor communication and a professional healthcare system. Some of the emerging application includes AI-driven diagnostics, personalized treatment, early identification of potential pandemics, and imaging diagnostics.
  • Agriculture: AI has a major role to play in driving a food revolution and meeting the increased demand for food. Applied AI addresses challenges such as lack of assured irrigation, inadequate demand prediction, excess use of pesticides, fertilizers, and fungicides. Some uses include improved crop production through advanced detection of pest attacks, prediction of crop prices, and real-time advisory.
  • Transports, Logistics, and Smart Mobility: This domain mainly includes various autonomous and semi-autonomous features, for example, monitoring and maintaining a predictive engine along with driver-assist. Other applications of AI include improved traffic management, autonomous trucking, and delivery.
  • Retail: Being one of the early adopters of AI solutions, it provides applications such as developing user experience by personalized suggestions, image-based product searches, and preference-based browsing. Other uses include customer demand anticipation, improved inventory management, and efficient delivery management.
  • Manufacturing: It can enable ‘Factory of the Future’ through flexible and adaptable technical systems to facilitate various processes and machinery to respond to unfamiliar or unexpected situations by making smart decisions. Impact areas include engineering, supply chain management, production, maintenance, quality assurance, and in-plant logistics and warehousing.
  • Energy: Potential use of Artificial Intelligence also includes modeling and forecasting of the energy system to reduce unpredictability. Artificial Intelligence also focuses on increasing the efficiency of power balancing and enabling the storage of energy in renewable energy systems. This process uses smart meters to enable intelligent grids, thus, improving the affordability and reliability of solar energy. Apart from these, AI may also be deployed for predictive maintenance of grid infrastructure.
  • Smart Cities: Incorporation of applied AI in developing cities could also help in meeting the demands of a rapidly growing population and providing them with enhanced quality of life. Traffic control for reducing congestion enhanced security by providing improved crowd management are some of the potential uses of AI systems.
  • Education and Skilling: AI plays a major role in the Indian education sector by providing solutions for quality and access issues including augmentation and enhancement of the learning experience through personalized learning, automating and expediting administrative tasks, and predicting the need for student intervention to reduce dropouts or recommend vocational training.

AI को सिर्फ़ विनियमन की नहीं, सांस्कृतिक नीतियों की ज़रूरत है

प्रसंग :

  • AI के भविष्य के लिए विनियमन को सार्वजनिक वस्तु के रूप में उच्च गुणवत्ता वाले डेटा को बढ़ावा देने वाली नीतियों के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है।
  • AI विकास में पारदर्शिता, समानता और सार्वजनिक विश्वास सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
  • विशाल सांस्कृतिक विरासत डेटा का लाभ उठाने से नवाचार को बढ़ावा देने और इतिहास को संरक्षित करने के साथ-साथ AI को समृद्ध किया जा सकता है।

डेटा रेस बनाम नैतिकता’ का वर्तमान परिदृश्य

  • डेटा की मांग बनाम गुणवत्ता: AI सिस्टम, विशेष रूप से बड़े भाषा मॉडल (LLM) को प्रशिक्षण के लिए उच्च गुणवत्ता वाले डेटा की विशाल मात्रा की आवश्यकता होने के कारण डेटा की दौड़ तेज हो गई है।
  • हालाँकि, इस बात की चिंता बढ़ रही है कि यह मांग नैतिक मानकों से समझौता कर सकती है, जिससे पायरेटेड या कम गुणवत्ता वाले डेटासेट का उपयोग हो सकता है, जैसे कि पायरेटेड टेक्स्ट का विवादास्पद ‘बुक्स3’ संग्रह।

सुरक्षित और भरोसेमंद AI सुनिश्चित करना

  • सुरक्षित और भरोसेमंद AI सुनिश्चित करने के लिए, विनियमन को सार्वजनिक वस्तु के रूप में उच्च गुणवत्ता वाले डेटा को बढ़ावा देने वाली नीतियों के साथ संतुलित किया जाना चाहिए।
  • यह दृष्टिकोण पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, समान अवसर प्रदान करता है और सार्वजनिक विश्वास का निर्माण करता है।

स्रोतों के प्रति चुनौतियाँ

  • प्राथमिक स्रोतों की कमी: वर्तमान एलएलएम मुख्य रूप से द्वितीयक स्रोतों पर प्रशिक्षित होते हैं, जिनमें अक्सर प्राथमिक सांस्कृतिक कलाकृतियों की गहराई और समृद्धि का अभाव होता है।
    • अभिलेखीय दस्तावेज़ों और मौखिक परंपराओं जैसे महत्वपूर्ण प्राथमिक स्रोतों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, जिससे एआई प्रशिक्षण के लिए उपलब्ध डेटा की विविधता सीमित हो जाती है।
  • सांस्कृतिक विरासत का कम उपयोग: सांस्कृतिक विरासत के कई भंडार, जैसे कि राज्य अभिलेखागार, एआई प्रशिक्षण के लिए अप्रयुक्त रह जाते हैं।
    • इन अभिलेखागारों में भाषाई और सांस्कृतिक डेटा की विशाल मात्रा होती है जो मानवता के विविध इतिहास और ज्ञान के बारे में एआई की समझ को बढ़ा सकती है।
  • डिजिटल डिवाइड: सांस्कृतिक विरासत के डिजिटलीकरण को अक्सर प्राथमिकता नहीं दी जाती है, जिससे मूल्यवान डेटा तक पहुँच की कमी होती है जो एआई विकास को लाभ पहुँचा सकता है।
    • डेटा उपलब्धता में यह अंतर छोटी कंपनियों और स्टार्टअप को असमान रूप से प्रभावित करता है, जिससे बड़ी तकनीकी फर्मों के साथ नवाचार और प्रतिस्पर्धा में बाधा आती है।

कनाडा से सबक और नीतिगत निहितार्थ

  • कनाडा का आधिकारिक भाषा अधिनियम: द्विभाषी संस्थानों की आवश्यकता वाली नीति ने अनुवाद सॉफ़्टवेयर के लिए मूल्यवान डेटासेट का निर्माण किया, जो इस तरह की पहल के दीर्घकालिक लाभों को प्रदर्शित करता है।
  • क्षेत्रीय भाषाएँ और प्रौद्योगिकी: स्पेन और यूरोपीय संघ में क्षेत्रीय भाषाओं को अपनाने के बारे में हाल की बहसों ने कम संसाधन वाली भाषाओं को डिजिटल बनाने के तकनीकी लाभों को नजरअंदाज कर दिया है।

निष्कर्ष:

  • AI प्रशिक्षण में डेटा संग्रह और उपयोग के लिए मजबूत नैतिक दिशा-निर्देश और मानक लागू करने की आवश्यकता है।
  • इन मानकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डेटासेट कानूनी रूप से सोर्स किए गए हों, विविध संस्कृतियों और दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करते हों और पूर्वाग्रहों को कम से कम करें।
  • इन दिशा-निर्देशों को विकसित करने और उनका पालन करने के लिए तकनीकी कंपनियों, सरकारों और सांस्कृतिक संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करें।

बड़े भाषा मॉडल (LLM)

  • बड़े भाषा मॉडल (LLM) उन्नत AI सिस्टम हैं जो विशाल मात्रा में डेटा से सीखकर मानव जैसा टेक्स्ट समझ और उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे भाषा से संबंधित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला सक्षम होती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) क्या है?

  • AI एक कंप्यूटर या कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट की वह क्षमता है जो ऐसे कार्य करने के लिए होती है जो आम तौर पर मनुष्य करते हैं क्योंकि उन्हें मानवीय बुद्धि और निर्णय की आवश्यकता होती है।
  • हालाँकि कोई भी AI उन विभिन्न प्रकार के कार्यों को नहीं कर सकता है जो एक सामान्य मनुष्य कर सकता है, कुछ AI विशिष्ट कार्यों में मनुष्यों से मुकाबला कर सकते हैं।
  • AI की आदर्श विशेषता इसकी तर्कसंगतता और ऐसे कार्य करने की क्षमता है जिनसे किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने की सबसे अच्छी संभावना होती है। AI का एक उपसमूह मशीन लर्निंग (ML) है।
  • डीप लर्निंग (DL) तकनीकें पाठ, चित्र या वीडियो जैसे असंरचित डेटा की विशाल मात्रा के अवशोषण के माध्यम से इस स्वचालित सीखने को सक्षम बनाती हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और भारत

उद्योग विश्लेषकों का अनुमान है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 2035 तक भारत की अर्थव्यवस्था में 957 बिलियन डॉलर तक का योगदान दे सकता है। भारत सरकार ने भारत में एआई उद्योग के विकास के लिए कई कार्यक्रम और पहल शुरू की हैं, ताकि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए इसकी क्षमता का पूरा दोहन किया जा सके।

  • मई 2020 में, सरकार ने भारत का राष्ट्रीय AI पोर्टल (https://indiaai.gov.in/) लॉन्च किया, जो देश में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित विकास के लिए वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है।
    • पोर्टल हितधारकों के उपयोग के लिए लेख, दस्तावेज़ आदि की विशेषता वाले ज्ञान-साझाकरण उपकरण के रूप में भी कार्य करता है।
    • यह AI नौकरियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य कर सकता है।
  • ऊपर बताए गए पोर्टल के साथ, सरकार ने युवाओं के लिए जिम्मेदार AI कार्यक्रम भी शुरू किया।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य युवा छात्रों को एक मंच देना और उन्हें उपयुक्त नए युग की तकनीकी मानसिकता, प्रासंगिक AI कौशल-सेट और आवश्यक AI टूल-सेट तक पहुँच प्रदान करना है ताकि उन्हें भविष्य के लिए डिजिटल रूप से तैयार किया जा सके।
    • इसके तहत, देश भर के केंद्रीय/राज्य सरकार के स्कूलों के चयनित छात्र (कक्षा 8 से 12 तक) AI पर ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेंगे और AI की मदद से सामाजिक प्रभाव परियोजनाओं की पहचान और निर्माण कैसे किया जा सकता है, इस पर चर्चा करेंगे।
    • इसके आधार पर, छात्र वीडियो के माध्यम से अपने समाधान प्रस्तुत करेंगे, जिसके बाद उन्हें उपयुक्त प्लेटफार्मों पर प्रदर्शन के लिए अपने विचारों को विकसित करने के लिए प्रासंगिक प्रशिक्षण और सहायता प्राप्त होगी।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI)

  • जून 2020 में, भारत GPAI का हिस्सा बन गया।
  • GPAI मानव अधिकारों, समावेशिता, विविधता, नवाचार और आर्थिक विकास पर आधारित AI के जिम्मेदार विकास और उपयोग का मार्गदर्शन करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय और बहु-हितधारक पहल है।
  • समूह का उद्देश्य AI के सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटना है।
  • भारत की AI रणनीति को “AI फॉर ऑल” के रूप में जाना जाता है।
    • यह जिम्मेदार AI पर ध्यान केंद्रित करता है, भारत को दुनिया का AI गैराज बनाने के इरादे से बड़े पैमाने पर AI समाधान बनाता है – एक विश्वसनीय राष्ट्र जिसे दुनिया AI से संबंधित काम आउटसोर्स कर सकती है।
    • यह AI तकनीकों के उपयोग के माध्यम से समावेशी विकास पर जोर देता है।
  • 2020 से, CBSE ने एआई को स्कूली पाठ्यक्रम में एकीकृत कर दिया है।

 AI की क्षमता

कृत्रिम बुद्धिमत्ता में वैश्विक स्तर पर कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वृद्धिशील मूल्य प्रदान करने की क्षमता है और यह फर्मों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक लाभ का प्रमुख स्रोत होने की उम्मीद है।

  • स्वास्थ्य सेवा: AI स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां संचार और पेशेवर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की कमी है, वहां उच्च बाधाओं के मुद्दों को संबोधित करके। उभरते हुए कुछ अनुप्रयोगों में AI-संचालित निदान, व्यक्तिगत उपचार, संभावित महामारी की प्रारंभिक पहचान और इमेजिंग निदान शामिल हैं।
  • कृषि: खाद्य क्रांति को आगे बढ़ाने और भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करने में AI की प्रमुख भूमिका है। एप्लाइड AI सुनिश्चित सिंचाई की कमी, अपर्याप्त मांग की भविष्यवाणी, कीटनाशकों, उर्वरकों और कवकनाशी के अत्यधिक उपयोग जैसी चुनौतियों का समाधान करता है। कुछ उपयोगों में कीटों के हमलों का उन्नत पता लगाने, फसल की कीमतों की भविष्यवाणी और वास्तविक समय की सलाह के माध्यम से बेहतर फसल उत्पादन शामिल है।
  • परिवहन, रसद और स्मार्ट गतिशीलता: इस डोमेन में मुख्य रूप से विभिन्न स्वायत्त और अर्ध-स्वायत्त सुविधाएँ शामिल हैं, उदाहरण के लिए, ड्राइवर-सहायता के साथ एक पूर्वानुमान इंजन की निगरानी और रखरखाव। AI के अन्य अनुप्रयोगों में बेहतर ट्रैफ़िक प्रबंधन, स्वायत्त ट्रकिंग और डिलीवरी शामिल हैं।
  • खुदरा: AI समाधानों को अपनाने वाले शुरुआती लोगों में से एक होने के नाते, यह व्यक्तिगत सुझावों, छवि-आधारित उत्पाद खोजों और वरीयता-आधारित ब्राउज़िंग द्वारा उपयोगकर्ता अनुभव विकसित करने जैसे अनुप्रयोग प्रदान करता है। अन्य उपयोगों में ग्राहक की मांग का पूर्वानुमान, बेहतर इन्वेंट्री प्रबंधन और कुशल वितरण प्रबंधन शामिल हैं।
  • विनिर्माण: यह लचीली और अनुकूलनीय तकनीकी प्रणालियों के माध्यम से ‘भविष्य की फैक्ट्री’ को सक्षम कर सकता है ताकि विभिन्न प्रक्रियाओं और मशीनरी को स्मार्ट निर्णय लेकर अपरिचित या अप्रत्याशित स्थितियों का जवाब देने में सुविधा हो। प्रभाव क्षेत्रों में इंजीनियरिंग, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, उत्पादन, रखरखाव, गुणवत्ता आश्वासन और इन-प्लांट लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग शामिल हैं।
  • ऊर्जा: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संभावित उपयोग में अप्रत्याशितता को कम करने के लिए ऊर्जा प्रणाली का मॉडलिंग और पूर्वानुमान भी शामिल है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बिजली संतुलन की दक्षता बढ़ाने और अक्षय ऊर्जा प्रणालियों में ऊर्जा के भंडारण को सक्षम करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है। यह प्रक्रिया बुद्धिमान ग्रिड को सक्षम करने के लिए स्मार्ट मीटर का उपयोग करती है, इस प्रकार, सौर ऊर्जा की सामर्थ्य और विश्वसनीयता में सुधार करती है। इनके अलावा, ग्रिड बुनियादी ढांचे के पूर्वानुमानित रखरखाव के लिए भी AI का उपयोग किया जा सकता है।
  • स्मार्ट शहर: विकासशील शहरों में लागू AI को शामिल करने से तेजी से बढ़ती आबादी की मांगों को पूरा करने और उन्हें जीवन की बेहतर गुणवत्ता प्रदान करने में भी मदद मिल सकती है। भीड़भाड़ को कम करने के लिए यातायात नियंत्रण और बेहतर भीड़ प्रबंधन प्रदान करके बढ़ी हुई सुरक्षा AI सिस्टम के कुछ संभावित उपयोग हैं।
  • शिक्षा और कौशल: एआई भारतीय शिक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जिसमें गुणवत्ता और पहुंच संबंधी मुद्दों के लिए समाधान प्रदान करना शामिल है, जिसमें व्यक्तिगत शिक्षण के माध्यम से सीखने के अनुभव को बढ़ाना और बढ़ाना, प्रशासनिक कार्यों को स्वचालित और तेज करना, और ड्रॉपआउट को कम करने या व्यावसायिक प्रशिक्षण की सिफारिश करने के लिए छात्र हस्तक्षेप की आवश्यकता का पूर्वानुमान लगाना शामिल है।

North Atlantic Treaty Organization (NATO) International Organizations / उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO)  अंतर्राष्ट्रीय संगठन


  • Formation : 4 April 1949 (75 years ago)
  • Type : Military alliance
  • Headquarters : Brussels, Belgium
  • Membership : 32 states (Sweden became the 32nd member on March 7, 2024)

About:

  • The North Atlantic Treaty Organization (NATO) is an intergovernmental military alliance formed in 1949.
  • It was established with the primary goal of providing collective defence against potential aggression, particularly from the Soviet Union during the Cold War era.
  • Over the years, NATO has evolved to address a range of security challenges beyond its original mandate.

History:

  • Formation: NATO was established on April 4, 1949, with the signing of the North Atlantic Treaty in Washington, D.C. by 12 founding member countries from Europe and North America.
  • Cold War Era: During the Cold War, NATO served as a deterrent against Soviet expansionism, with the US providing significant military support to its European allies.
  • Post-Cold War: After the collapse of the Soviet Union, NATO expanded its focus to include crisis management, conflict prevention, and cooperative security efforts.

Membership:

  • Original Members: The original 12 founding members of NATO were Belgium, Canada, Denmark, France, Iceland, Italy, Luxembourg, the Netherlands, Norway, Portugal, the United Kingdom, and the United States.
  • Expansion: NATO has expanded since its founding, with new member countries joining in multiple rounds. The alliance currently consists of 32 member countries.

Mission and Objectives:

  • Collective Defence: NATO’s primary mission is collective defence, as outlined in Article 5 of the North Atlantic Treaty. This article stipulates that an attack on one member country will be considered an attack on all, and the members will respond collectively.
  • Crisis Management: In addition to collective defence, NATO engages in crisis management activities, including conflict prevention, peacekeeping, and stabilisation efforts in various regions around the world.

Structure:

  • Political Leadership: The North Atlantic Council (NAC) serves as NATO’s principal political decision-making body, composed of ambassadors from all member countries.
  • Military Command Structure: NATO’s military command structure includes Strategic Commands (e.g., Allied Command Operations) responsible for operational planning and execution, as well as Regional Commands and Force Headquarters.
  • Integrated Military Forces: NATO maintains integrated military forces, allowing member countries to contribute personnel and assets to collective defence efforts under NATO command.

Note:

India maintains a nuanced stance between NATO and Russia, balancing strategic interests with both while emphasising non-alignment and bilateral cooperation in defence and economic spheres.


उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO)  अंतर्राष्ट्रीय संगठन

  • गठन : 4 अप्रैल 1949 (75 वर्ष पहले)
  • प्रकार : सैन्य गठबंधन
  • मुख्यालय : ब्रुसेल्स, बेल्जियम
  • सदस्यता : 32 राज्य (स्वीडन 7 मार्च, 2024 को 32वाँ सदस्य बना)

के बारे में:

  • उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) 1949 में गठित एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है।
  • इसकी स्थापना शीत युद्ध के दौर में सोवियत संघ से संभावित आक्रमण के खिलाफ सामूहिक रक्षा प्रदान करने के प्राथमिक लक्ष्य के साथ की गई थी।
  • पिछले कुछ वर्षों में, नाटो अपने मूल अधिदेश से परे सुरक्षा चुनौतियों की एक श्रृंखला को संबोधित करने के लिए विकसित हुआ है।

इतिहास:

  • गठन: नाटो की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को वाशिंगटन, डी.सी. में उत्तरी अटलांटिक संधि पर यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 12 संस्थापक सदस्य देशों द्वारा हस्ताक्षर करने के साथ हुई थी।
  • शीत युद्ध काल: शीत युद्ध के दौरान, नाटो ने सोवियत विस्तारवाद के खिलाफ एक निवारक के रूप में कार्य किया, जिसमें अमेरिका ने अपने यूरोपीय सहयोगियों को महत्वपूर्ण सैन्य सहायता प्रदान की।
  • शीत युद्ध के बाद: सोवियत संघ के पतन के बाद, नाटो ने संकट प्रबंधन, संघर्ष की रोकथाम और सहकारी सुरक्षा प्रयासों को शामिल करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया।

सदस्यता:

  • मूल सदस्य: नाटो के मूल 12 संस्थापक सदस्य बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका थे।
  • विस्तार: नाटो ने अपनी स्थापना के बाद से विस्तार किया है, जिसमें कई दौर में नए सदस्य देश शामिल हुए हैं। गठबंधन में वर्तमान में 32 सदस्य देश शामिल हैं।

मिशन और उद्देश्य:

  • सामूहिक रक्षा: नाटो का प्राथमिक मिशन सामूहिक रक्षा है, जैसा कि उत्तरी अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 5 में उल्लिखित है। यह अनुच्छेद निर्धारित करता है कि एक सदस्य देश पर हमला सभी पर हमला माना जाएगा, और सदस्य सामूहिक रूप से जवाब देंगे।
  • संकट प्रबंधन: सामूहिक रक्षा के अलावा, नाटो दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष की रोकथाम, शांति स्थापना और स्थिरीकरण प्रयासों सहित संकट प्रबंधन गतिविधियों में संलग्न है।

संरचना:

  • राजनीतिक नेतृत्व: उत्तरी अटलांटिक परिषद (NAC) नाटो के प्रमुख राजनीतिक निर्णय लेने वाले निकाय के रूप में कार्य करती है, जिसमें सभी सदस्य देशों के राजदूत शामिल होते हैं।
  • सैन्य कमान संरचना: नाटो की सैन्य कमान संरचना में सामरिक कमान (जैसे, संबद्ध कमान संचालन) शामिल हैं जो परिचालन योजना और निष्पादन के लिए जिम्मेदार हैं, साथ ही क्षेत्रीय कमान और बल मुख्यालय भी शामिल हैं।
  • एकीकृत सैन्य बल: नाटो एकीकृत सैन्य बलों को बनाए रखता है, जिससे सदस्य देशों को नाटो कमान के तहत सामूहिक रक्षा प्रयासों में कर्मियों और परिसंपत्तियों का योगदान करने की अनुमति मिलती है।

नोट: भारत नाटो और रूस के बीच एक सूक्ष्म रुख बनाए रखता है, दोनों के साथ रणनीतिक हितों को संतुलित करता है जबकि रक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में गुटनिरपेक्षता और द्विपक्षीय सहयोग पर जोर देता है।